THE 5-SECOND TRICK FOR HINDI STORY

The 5-Second Trick For hindi story

The 5-Second Trick For hindi story

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सलीम जब उस बच्चे को लेकर जाने लगा बकरी समझ गई। उसके बच्चे को यह लोग ले जा रहे हैं।

As we embark over a literary odyssey, we dig in to the enchanting globe of Hindi fiction books, celebrating the brilliance of storytellers which have crafted tales that transcend time and Area. Within the eloquence of Premchand’s poignant realism to the modern-working day Hindi poetry by Harivansh Rai Bachchan, Hindi literature has continually evolved, fascinating viewers with its power to mirror Culture and articulate the complexities from the human soul.

‘लोग मुझे खनी कहते हैं। पुलिस मुझे ढंढ रही है! कानून मुझे फाँसी पर चढाने के लिए मचल रहा है! लेकिन उन सभी को यह नहीं मालूम कि मैंने जिन लोगों का खून किया है, वे लोग किस कदर कानून को हाथ में लिए घूम रहे थे?

Making use of sharp wit and humor to depict the absurdities of energy dynamics, caste prejudices, as well as the clash involving tradition and modernity, this novel continues to be a timeless common.

माँ को अपने बेटे, साहूकार को अपने देनदार और किसान को अपने लहलहाते खेत देखकर जो आनंद आता है, वही आनंद बाबा भारती को अपना घोड़ा देखकर आता था। भगवत-भजन से जो समय बचता, वह घोड़े को अर्पण हो जाता। वह घोड़ा बड़ा सुंदर था, बड़ा बलवान। उसके जोड़ का घोड़ा सारे सुदर्शन

शांति ने ऊब कर काग़ज़ के टुकड़े-टुकड़े कर दिए और उठकर अनमनी-सी कमरे में घूमने लगी। उसका मन स्वस्थ नहीं था, लिखते-लिखते उसका ध्यान बँट जाता था। केवल चार पंक्तियाँ वह लिखना चाहती थी; पर वह जो कुछ लिखना चाहती थी, उससे लिखा न जाता था। भावावेश में कुछ-का-कुछ उपेन्द्रनाथ अश्क

Moral of this brief hindi story – Labor with smartness is The crucial element to accomplishment. Usually center on good work.

Picture: Courtesy Amazon Published by Agyeya, the pen title of Satchidananda Hirananda Vatsyayan, this Hindi fiction e-book was initially released in 1940. The novel is really a pioneering get the job done and is taken into account a landmark in Hindi literature. Agyeya, an influential figure in the Chhayavaad motion, delivers to daily life the tumultuous journey on the protagonist, Shekhar, through different phases of his daily life. The novel explores Shekhar’s evolution from a carefree and idealistic youth to your experienced personal grappling with the complexities of lifestyle.

विशाल ने अगले ही दिन कवच को तालाब में छोड़कर आसपास घूमने लगा।

उन हिरणियों के पैरों से विशाल को चोट लगी, वह रोने लगा।

दोनों ने सावित्री की मदद करने की ठानी। सांप ने रस्सी से जुड़ कर रस्सी को लम्बा बना check here दिया और मेंढक घड़े में इस तरह बैठ गया की घड़े छेद बंद हो गया। सावित्री पानी निकाल कर ख़ुशी ख़ुशी घर चली गई।

बहुत समय पहले की बात है जब देवी देवता इंसान मिलने धरती पर आते थे। एक गाँव में शायरा नाम की बच्ची अपनी माँ के साथ रहती थी। वह दोनों दूसरों के कपडे धो कर पैसे कमाते थे। शायरा सोच रही थी की इस बार दिवाली पर वह अपनी माँ को क्या उपहार देगी। तभी एक कौवा वहां उड़ता हुआ आया और अपनी चोंच से एक मोतियों का हार गिरा गया। शायरा खुश हो गयी की इस बार वह अपनी माँ को दिवाली पर हार देगी।

वह इतना सुधर गया था , गली में निकलने वालों को परेशान भी नहीं करता।

Graphic: Courtesy Amazon Initial published in 1927, this Hindi fiction reserve is often a poignant exploration of social problems and human thoughts in early twentieth-century India. The story revolves round the protagonist, Nirmala, a young and harmless bride who will become a sufferer of societal norms, customs, as well as the prevailing patriarchy. Premchand skillfully weaves a narrative that delves in to the severe realities faced by Women of all ages in the conservative society. Nirmala’s journey is marked by tragedy, as she navigates with the complexities of a dysfunctional relationship, societal expectations, as well as difficulties of staying a woman in that period.

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